Monday, August 31, 2009

क्या देश में चौबीस घंटे हिंदी न्यूज़ चैनल का कॉन्सेप्ट असफल हो गया - एक बहस


विदेशों की देखादेखी हिंदुस्तान में भी नब्बे के आखिरी दशक में 24 घंटे हिंदी खबरिया चैनलों की शुरूआत हुई. शुरूआत जैन ज़ी और स्टार(एनडीटीवी) के साथ हुई. और अपने शवाब पर चढ़ी आज तक के साथ. इसके बाद एनडीटीवी स्टार से अलग हुआ.स्टार का अपना और एनडीटीवी का अपना चैनल आया. इसी के साथ शुरू हुई चैनलों में टीआईपी की लड़ाई. इस जंग में चैनल की आईडी पहुंच गई क्राइम के मैदान से होते हुए श्मशान,शुरूआत ज़ी ने की. इसकी देखा देखी कई चैनल भूत के बाज़ार में उतर गए. इस बीच इंडिया टीवी और आईबीएन 7 भी मार्केट में आ गए. लड़ाई और मुश्किल हो गयी. टीआईपी में दशमलव की जंग शुरू हो गई.देखते ही देखते खबरों की दुनिया बदल गई.देश के हालात की बजाय सीरियल, रियेलिटी शो और कॉमेडी के शो दिखने लगे. शहर और गांव की तस्वीरों की जगह यू-ट्यूब के वीडियो नज़र आने लगे. इस ड्रामे से एक चैनल बचा हुआ था.एनडीटीवी.लेकिन अब उसमें भी खबरों की जगह टीवी शोज़ हावी रहते हैं. ज़ी और स्टार ज़रूर खबरों की दुनिया में लौट आए दिखते हैं.(न्यूज़ की पुरानी परिभाषा के मुताबिक) लेकिन टीआरपी के लिए उन्हें भी कुछ न कुछ खेला ज़रूर करना पड़ता है ) यानि चैनल वाले मान चुके हैं कि चैनल चलाए रखने के लिए नान न्यूज आइटम दिखाना पड़ेगा. शायद इसलिए अब किसी भी हिंदी चैनल पर चौबीस घंटे खबरें नहीं दिखतीं. अब सवाल उठता है कि क्या हिंदुस्तान में 24 घंटे न्यूज चैनल का कांस्टेप्ट असफल हो चुका है. आप क्या सोचते हैं.अपनी यहां टिप्पणी में दर्ज करें और इस बहस में भाग लें-

Saturday, August 22, 2009

सच की सनक के लिए कितनों की बलि



दिन बुधवार। तमाम खबरें। इन खबरों के बीच आई एक खबर। इस खबर ने सहसा ही सबका ध्यान खींच लिया। खबर थी मेरठ की। टीवी शो सच का सामना से जुड़ी। सच का सामना से प्रेरित होकर एक पति राजेश ने अपनी पत्नी आशा की गर्दन में ब्लेड मार दिया। इरादा था जान से मारने का। पर आशा की किस्मत तेज़ थी। वो बच गई। गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में पति गिरफ्तार हो गया। गिरफ्तारी के बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। अपने किए पर उसे ज़रा भी पछतावा नहीं था।
इस खौफनाक घटना के पीछे था। सच जानने की सनक। जो राजेश में सच का सामना देखने के बाद सवार हुआ। राजेश के साले का आरोप था कि जब से राजेश ने सच का सामना देखना शुरू किया। उसने उलजूलूल हरकतें शुरू कर दीं। वारदात को राजेश ने पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया। उसे इस प्लान का आइडिया स्टार प्लस के शो सच का सामना से आया। वारदात के दिन राजेश बदला-बदला सा था। वो अपनी पत्नी को घुमाने के लिए पास की नहर के पास ले गया। वहां ले जाकर उसने बड़े प्यार से आशा के सामने सच का सामना की तर्ज पर एक गेम खेलने का प्रस्ताव रखा। जिसके मुताबिक राजेश राजीव खंडेलवाल की तरह सवाल पुछने थे और बीवी को उन सवालों का सही-सही जवाब देना था। बीवी ने साफ तौर से इसे खेलने से इंकार कर दिया। लेकिन राजेश के सिर पर सच की सनक सवार थी। उसे हर हाल में अपनी बीवी से सच जानना था। उसने मान मनोव्वल, इमोशनल ब्लैकमेलिंग, बच्चों का वास्ता देकर अपनी बीवी को सवालों के कटघरे में खड़े होने के लिए तैयार कर लिया। उसने आशा को यकीन दिला दिला कि सच कितना भी कड़वा हो, उनके रिश्तों पर इसका ज़रा भी असर नहीं पडेगा। पति की बातों पर यकीन करके आशा सवालों का जवाब देने को तैयार हो गई।
गेम शो की तरह राजेश ने शुरूआत हल्के फुल्के सवालों से की लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था। सवाल कठिन होते गए। और आखिरकार वो सवाल आ ही गया । जिसके लिए राजेश ने ये पूरी भूमिका तैयार की थी। राजेश ने आशा से पुछा कि क्या उसके जिस्मानी ताल्लुकात उसके अलावा किसी और मर्द से रहे हैं। आशा इस सवाल को सुनकर अकचका गई। हालात की नज़ाकत को भांपते हुए राजेश ने अपनी पत्नी आशा को फिर यकीन दिलाया कि इस सवाल का जवाब हां होने पर भी उनके रिश्तों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। आशा ने न चाहते हुए भी अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा राज़ खोल दिया। उसने मान लिया कि उसके ताल्लुकात किसी और मर्द से रहे हैं। लेकिन राजेश को कुछ और भी जानना था। उसने पुछा कि उनके दोनों बच्चों का असली बाप कौन है। आशा ने राज़ तो खोल ही दिया था। उसने बता दिया कि एक का बाप वो नहीं है। ये जबाव सुनते ही राजेश आपे से बाहर हो गया। उसने फौरन एक ब्लेड निकाली और आशा के गर्दन पर वार करके उसने मरने के छोड़कर चला आया। लेकिन इस बीच वहां कुछ लोगों ने तड़पती आशा को देख लिया और उसे सही समय पर रिक्शे में लादकर अस्पताल पहुंचा दिया।
गिरफ्तार होने के बाद राजेश के मन में कोई पछतावा नहीं था। वो बस रोए जा रहा था। बार-बार एक ही बात कह रहा था। “मैं जीना नहीं चाहता”। दरअसल,वो अपने विश्वास के टुटने से ये बुरी तरह बिखर चुका था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस पत्नी पर उसने ऐतबार किया उसने इतना बड़ा धोखा किया। जिस बेटे को उसने अपना समझा वो किसी और का निकला।
एक हफ्ते के भीतर ये दूसरा मामला था जब गेम शो की वजह से दर्शकों के बीच किसी की ज़िदगी खतरे में पड़ी हो । इस वारदात से करीब एक हफ्ते पहले नोएडा के रहने वाले एक युवक पर कुछ ऐसी ही सनक सवार हुई थी सच जानने की । गेम शो देखने के बाद उसने रात को अपनी पत्नी के साथ सच का सामना खेलने की जिद की। उसने भी वही दलीलें दी जो राजेश ने दी थी लेकिन जब उसकी पत्नी ने अपनी ज़िदगी का सारा सच खोलकर रखा। तो सच का ये सदमा वो पति बर्दाश्त नहीं कर पाया और रात को फांसी लगाकर उसने खुदकुशी कर ली। सच का सामना एक हंसते खेलते परिवार को तबाह कर दिया।
ये दो घटनाएं उन दर्शकों के साथ हुई। जिन्होंने इस शो को देखा। जो इस शो में भाग लेते हैं उनके साथ क्या होता होगा। अंदाज़ा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है। बड़ी हैरानी की बात है कि इसे लेकर तमाम विरोध के बावजूद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सच का सामना को बंद करने की मांग संसद में भी उठ चुकी है सरकार ने नोटिस भी जारी किया लेकिन इसके बाद क्या हुआ किसी को कुछ नहीं पता। शो की टाइमिंग चेंज कर दी गई ताकि बच्चे उसे न देखें लेकिन टुटते रिश्तों के इस दौर में इस रिश्तातोड़ु शो के असर से परिवार को कैसे बचाया जाए। इसका मुक्कमल इंतज़ाम अभी तक नहीं हुआ। आखिर कब जागेगी सरकार और ये समझेगी कि तमान सनसनीखेज़ मसालेदार मनोरंजन से ज्यादा कीमती किसी की जान होती है। ये हिंदुस्तान है। 5 हजार साल पुराना हिंदुस्तान। इतनी पुरानी सभ्यता दुनिया में कहीं और नहीं। वो भी इसलिए क्योंकि हमने अपनी सभ्यताओं और परंपराओं को अपने घर की चाहरदीवारी में अपने परिवारों में संजोए ऱखा। अब खतरा उसी पर मंडरा रहा है।
हैरानी की बात है कि धर्म और संस्कृति के तथाकथित ठेकेदार इस शो के खिलाफ खामोश हैं। वेलेंटाइन डे को अपनी संस्कृति पर हमला बताने वाले तब इसके विरोध में एक शब्द तक नहीं बोल रहे, तब जबकि वाकई हमारी संस्कृति पर खतरा है । जाहिर है उनके लिए धर्म और संस्कृति हथियार हैं इसका इस्तेमाल वो तभी करते हैं जब इसका उन्हें राजनीतिक फायदा दिखता है।

Friday, August 7, 2009

सच का सामना या सेक्स से सामना




देश में इस वक्त बवाल मचा है। स्टार प्लस के नए रियलिटी शो 'सच का सामना' को लेकर। आम जनमानस इस शो को बंद कराने के पक्ष में दिख रहा है। सबसे बड़ी वजह है निजी बातों को सार्वजनिक करने के इस शो के चरित्र और रिश्तों और लोगों के विश्वास पर इसके पड़ने वाले असर के चलते। जबकि नैतिकता, मर्यादा को इंसानी विकास का दुश्मन समझने वाले और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढाल बनाकर हर गलत बात को जायज़ ठहराने वाले तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक तबके ने इस शो के पक्ष में हवा बनानी शुरू कर दी है। कोई इसकी टीआरपी को इसकी स्वीकार्यता बता रहा है। कोई कह रहा है कि जब प्रतियोगियों को अपने बेडरूम और सेक्स से संबंधित बातें बताने में कोई गुरेज़ नहीं है तो शो को लेकर हाय तौबा क्यों? साथ में ये तोहमत भी नत्थी किया जा रहा है कि सच को हम स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, हम पाखंड में जीने वाले लोग हैं, इससे हमारे समाज का खोखलापन दिखता है, इसलिए वे लोग इसे बंद कराने पर आमादा है। कहने की ज़रूरत नहीं कि देश में पैदा हुए इन विदेशियों को हर चीज़ विदेशी चश्मे से देखने की आदत पड़ चुकी है। हीन भावना से ग्रस्त इन बुद्धजीवियों को यहां की हर बात में खोट और खामी नज़र आती है, इसीलिए ये लोग हर उस बात का समर्थन करते हैं, जिससे इन्हें यहां के समाज और संस्कृति को गाली देने का मौका मिले। देश में पैदा हुए इन विदेशियों को न तो भारत की समझ है न यहां के लोगों । भारतीय जीवन शैली और उसके सामाजिक ताने-बाने में इनकी जानकारी उतनी ही है जितनी किसी विदेशी को होती है। अभिव्यक्ति की आज़ादी, बराबरी।(आज़ादी और बराबरी की बात करने वाले सभी ऐसे नहीं हैं)॥ये इनके वो सदाबहार दलील हैं, जिसको ये अपनी हर बात पर चिपका देते हैं को इन लोगों ने अपना हथियार बना लिया है...जब भी भारतीय समाज को नीचा दिखाने हो, उसके मूल्यों को ज़लील करना हो, ये इन्हीं दलीलों का हवाला देते हैं...टीवी वाले इन लोगों को भौंकने का मौका दे देते हैं॥इसलिए फोकट में सुर्खियों में बने रहते हैं....। का मामला संसद से लेकर कोर्ट तक उठ गया है.....संसद में तमाम सासंदों ने इस शो पर कड़ी आपत्ति की है......और इस पर तुंरत रोक लगाने की मांग की है....इस बीच सरकार ने नोटिस जारी कर दिया और स्टार इंडिया की ओर से नोटिस का जवाब भी सरकार को मिल गया....मीडिया में आ रही ख़बर के मुताबिक सरकार स्टार को घुड़की देकर और कुछ सलाह देकर शो को चलते रहने देगी....। दूसरी तरफ मामला कोर्ट में भी चल रहा है अब देखना है कि कोर्ट का इस विवाद पर क्या रूख रहता है....एक बात तो मानने में कोई गुरेज़ नहीं है कि विदेशी आईडिया के नकल पर बने इस शो ने विवादों से इतनी सुर्खियां बटोर ली है॥जो शायद देश के टेलीविज़न इतिहास में किसी ने न बटोरी हों..और निश्चत तौर पर इसका फायदा कार्यक्रम को मिलेगा....और स्टार इसकी टीआरपी दिखाकर कहेगा कि ये कार्यक्रम लोगों को पसंद आ रहा है ये शो अमेरिका में प्रसारित होने वाले शो द मुमेंट ऑफ ट्रुथ पर आधारित है...मुंमेट ऑफ ट्रुथ खुद कांलबियन शो Nada más que la verdad यानी नथिंग बट द ट्रुथ पर आधारित है.....शो में इक्कीस सवाल पुछे जाते हैं...जिनमें से ज्यादातर सवाल नितांत निजी औऱ सैक्स से जुड़े होते हैं..इस समय ये शो दुनिया के 46 अलग-अलग देशों में दिखाया जा रहा है...नाम अलग-अलग, लेकिन सवाल वही, कार्यक्रम का फॉर्मेट और नतीजा एक । 21 सवाल...सवाल के नाम पर निजता पर हमला...और इसका रिश्ता तोड़ू असर...। जहां भी ये शो प्रसारित हो रहा है...इसने समाज को तोड़ने का ही काम किया है...लेकिन हर जगह इसने सफलता से ज्यादा विवादों से सुर्खियां हासिल की.....कैसे इसने परिवारों को तोड़ा....इसके तमाम किस्सों से इन्टरनेट भरा पड़ा है....शो के दौरान ही कई रिश्ते टुट गए...ये आप यु-ट्यूब। में देख सकते हैं......ग्रीस में वहां टेलीविज़न और रेडियो काऊंसिल ने बंद करा दिया है..इससे पहले इस शो को लेकर से वहां के सबसे बड़े ब्रॉडकास्टर एंटिना पर दो बार फाइन लगाया गया....लेकिन इसके बाद भी लोगों की सैक्स लाइफ को सार्वजिनक करने की इसकी प्रवृति बंद नहीं हुई तो इसे बंद कर दिया......देश में उस समय हड़कंप मच गया जब शो में एक महिला से पुछा गया कि क्या आपने कभी पैसों के लिए सैक्स किया है.....।कोई हैरानी नहीं ये शो चलता रहा तो आने वाले एपिसोड में आपको ऐसे ही सवाल सुनने को मिलेंगे......और हमारे यहा तो नकेल कसने के लिए कोई रेगुलेट्री भी नहीं है....और जब पश्चिम का खुला और रिश्तों से आज़ाद रहने वाला समाज इसे पचा नहीं पा रहा है...तो हमारा पंरपरावादी समाज इसे क्यों देखे । इस शो पर प्रतिबंध लगाने की मांग के पीछे बड़ी वजह यह है कि शो खुद ही एक बड़ा छलावा और फरेब है.. शो का पूरा ताना बाना ही झूठ और फरेब के इर्द गिर्द बुना गया है....शो में पुछे गए सवाल बताते हैं कि यहां सच का मतलब सिर्फ और सिर्फ सैक्स है....सच की अग्निपरीक्षा पार कराने के नाम पर व्यक्ति के सैक्स लाइफ से जुड़े सवालों को उठाया जाता है.....इसलिए नहीं कि लोगों को उनके जीवन का सच बता सकें...बल्कि इसलिए कि सैक्स को सच की आड़ में बेच सकें.....कोई पूछे तो शो के कर्ताधर्ताओं से कि आदमी के सच और झूठ का निर्धारण केवल सैक्स लाइफ से ही हो सकता है.... क्या जीवन के अंतरंग पलों को बेनकाब करने से ही तय होता है सच्चा कौन है...ये नहीं है ये है सैक्स का सामना...अगर आपमें दम है तो अपनी सैक्स लाइफ अपने मां बाप और सारी दुनिया के सामने शेयर करो.....तभी बनेंगे सच्चे इंसान....इनसे ज़रा पुछिए कि जिस हरीशचंद्र को हम सच के लिए याद करते हैं...उन्होंने अपने सैक्स लाइफ के बारे में क्या बाते की थीं....मुझे मालूम है शो को बनाने वाली टीम के ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि हरीशचंद्र कौन थे.... । सच के नाम पर लोगों की प्राइवेट लाइफ में झांकने की इजाज़त किसने दी आपको......। ठीक है कन्टेस्टेंट अपनी मर्ज़ी से आते हैं....लेकिन उन्हें सच के नाम पर बरगलाता कौन है....हो सकता है कि कन्टेस्टेंट की रज़ामंदी के बाद ही उसकी प्राइवेट ज़िंदगी से संबधित सवाल पुछते हो...कंटेस्टेंट और आयोजक दोनों रज़ामंद हो भी तो भी इस प्राइवेट लाइफ को हमसे साझा करने की इजाज़त किसने दी....? किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ये मतलब तो कदापि नहीं है कि आप इसका जो मर्जी में आए,फायदा उठा लें.....स्टार टीवी को अगर लगता है कि जो लोग इन सवालों का जवाब देते हैं वो सच के असली सिपाही हैं..तो ले जाए उनको। बंद कर दे एक कमरे में.। और दे दे उसे एक करोड़ रूपये, जो इक्कीस सवालों का सच सच जवाब दे दे.। लेकिन ये सवाल सार्वजिनक करने का मतलब तो यही है न कि आप सच के नाम पर सनसनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं..आप कह सकते हैं कि आपके हाथ में रिमोट है...आप चैनल बदल लीजिए....लेकिन तब क्या कोई क्या करे...जब दूसरे तमाम चैनलों पर भी इसका प्रोमो हर ब्रेक में प्रकट हो जाता है....क्या ये सच है कि आप अपने पति को मारना चाहती थी?..अगर ये कार्यक्रम देखकर किसी का रिश्तों से विश्वास उठ जाए और वो कोई अपराध करने को विवश हो जाए तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है..... विश्वास टुटने की पीड़ा और ज़िदगी पर पड़ने वाले असर का हर्ज़ाना कौन भरेगा...जिसने भी इसका प्रोमो देखा होगा वो समझ गया होगा कि सच के नाम पर सेक्स कैसे बेचा जाता है..कितनी चालाकी से शो के कर्ताधर्ताओं ने सैक्स के साथ सच का घालमेल किया है....। राजीव खंडेलवाल स्क्रीन पर आते हैं. सच की दुहाई देते हैं. सच को अग्निपथ बताते हैं. .फिर अवतरित होती हैं एक टीवी एक्ट्रेस. , उनसे पुछा जाता है एक सवाल- “क्या ये सच है कि आपको कॉलेज से इसलिए निकाला गया क्योंकि आप प्रेग्रनेंट हो गई थीं”…..। फिर दर्शकों से पुछा जाता है- “क्या आप कर सकते हैं..., अगर हां, तो आप जीत सकते हैं एक करोड़”। सोचिए जरा। क्या किया जा रहा है। सच का प्रचार या सेक्स को सनसनीखेज़ तरीके से बेचा जा रहा है। आपसे ये कहा जा रहा है कि अगर आप ऐसे ही सवालों का जवाब दीजिए इसकी कीमत आपको मिल जाएगी...कीमत होगी एक करोड़। अब जो इनके झांसे में फंस जाते हैं, उन्हें एक करोड़ तो नहीं मिलते, ज़माने की ज़लालत ज़रूर भोगकर जाते हैं। जितना अपमानित वो पूरी ज़िदगी में नहीं होते, एक घंटे के अंदर हो जाते हैं। मां-बाप बीवी, भाई-बहन को इनके सेक्सी सच से जो पीड़ा होती है। सो अलग।.इस शो में प्रतियोगियों का सामना सच से होता हो या न होता हो....घर टुटने और रिश्ते बिखरने का पूरा इंतज़ाम रहता है......बार-बार सच,सच बोलकर प्रतियोगियों की इज्ज़त उतारी जाती है...और फिर बेईमानी करके प्रतियोगी को बाहर कर दिया जाता है....जब ये तय हो जाता है कि आपने जवाब देकर अपने परिवार को तोड़ने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है तो आपको उन सवालों से घेरा जाता है, जिनका उत्तर कोई भी हमेशा एक नहीं दे सकता ....यानी इस पर आपकी राय समय-समय पर बदलती रहती है......मसलन, क्या आप अपनी बीवी के गुलाम है...ये बात आप कभी मानते होंगे कभी सोचते होंगे कि नहीं मैं जोरू का गुलाम नहीं.....कहने का मतलब ये कि भले ही शो खुद को सच की अग्निपरीक्षा बताए.. पर खुद इसका सच से कोई सरोकार नहीं है.. इस शो के ज़रिए स्टार प्लस अपनी एक भी ज़िम्मेदारी को नहीं निभा रहा है। न तो वो सूचना देने का काम कर रहा है न लोगों को शिक्षित बना रहा है...न समाज को इससे कोई फायदा हो रहा है न संस्कृति को...तो क्यों चले ये शो,,,,,,,,,अब स्टार प्लस वाले बताएं कि इस शो का मकसद क्या है.....शो को मसालेदार और सनसनीखेज़ बनाने के लिए ही प्रतियोगियों को अपमानित किया जाता है...न शो में उनकी ज़िदगी को लेकर कोई सम्मान है न ही समाज पर इसके पड़ने वाले असर का......ये शो न तो टेलीविज़न होने की किसी तरह की सामाजिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करता है..न ही देश के सांस्कृतिक तरक्की में अपना योगदान देता है...इसके लिए इंसानी ज़िदगी को लेकर कोई सम्मान नहीं है। भारतीय जनमानस इस शो को पचा नहीं पा रहा है.....यही वजह है कि मामला तुरंत संसद तक जा पहुंचा। सरकार की कोई कार्रवाई हो इससे पहले ही शो ने अपना टाइम खिसका कर साढ़े दस कर लिया। ताकि कहने को हो गया कि नया टाइम एडल्ट कंटेट को ध्यान में रखकर किया गया है। इस वक्तर बच्चे सो जाते हैं। लेकिन खतरा खतरा सिर्फ बच्चों को नहीं है...बड़ों को भी है.। क्या हम जिस पति और पत्नी के पावन रिश्ते को विश्वास के सहारे पूरी जिदगी निभा जाते हैं। उस रिश्ते पर इस शो की काली छाया नहीं पड़ेगी ? जब एक पति शो में साथ जीवन गुज़ार देने वाली पत्नी के मुंह से सुनता होगा कि वो अपने पति को जान से मारना चाहती थी, तो क्या उसका विश्वास इस रिश्ते से कम नहीं होगा। आप में से कई लोगों की ज़िदगी में भी तमाम ऐसे मौके आए होंगे, जब गुस्से में आपके मन में किसी के कत्ल का ख्याल आया होगा। और हो सकता है कई बार आया हो। लेकिन उतना ही सच ये भी है कि आप क़ातिल नहीं हैं। क्योंकि ये ख्याल अल्पकालिन था । मन से ख्याल आने का मतलब ये नहीं कि आपने हत्या की कोशिश की..लेकिन जिस महिला से ये बोलवाया गया, सोचिए अब उसकी ज़िदगी कैसे बीत रही होगी स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले इस शो से सबसे ज्यादा ख़तरा भारतीय परिवार को है । .उस परिवार को जो हमारे समाज,हमारे देश की सबसे ताकतवर इकाई रहा है। आज से नहीं हज़ारों सालों से। इसी परिवार में हमने अपनी संस्कृति,अपनी पहचान अपनी परंपराओं को हजारो सालों तक सहेज कर रखा...। हजारों साल तक हम पर हमले होते रहे। लेकिन ये हमारे पारिवारिक ढ़ाचें को खत्म नहीं कर सके। इसी परिवार की ताकत के बूतें हमने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने मुताबिक ढालने पर मजबूर कर देते हैं....लेकिन अब मामला दूसरा है। हमें ये भी गौर करना होगा कि टीवी आज दुनिया का सबसे ताकतवर माध्यम ही नहीं है ये एक घातक हथियार में बदल चुका है...जो सीधे हमारी सोच पर हमला करता है। आज-कल के बच्चे मां-बाप और शिक्षकों से ज्यादा टीवी को देखकर सीख रहे हैं। घर का काम निपटाने के बाद घरेलू महिलाएं दूसरा सबसे महत्वपूर्ण काम करती हैं, .टीवी सीरियल देखने का.। कामकाजी पुरूष-और महिलाएं दफ्तर से थक-हार कर घर लौटते हैं तो सबसे पहले रिमोट खोजते हैं। अब टीवी सिर्फ मनोरंजन या जानकारी के साधन नहीं रह गए बल्कि ये हमारे आंख और कान हो गए हैं। हम जो टीवी पर देखते हैं उसका गहरा असर पड़ता है..टीवी अब समाज का आईना नहीं रह गया है बल्कि वो सही-गलत रास्ता दिखाने वाला सशक्त माध्यम बन गया है। और शायद इसीलिए पिछले एक दशक में टीवी ने हमारी ज़िदगी को जितना बदला है उतना शायद किसी और ने नहीं। इसलिए हमें “” जैसे शो से ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है..टीवी प्रकरांतर से बाज़ार का साथी हैं.... बाज़ार तभी और फलेगा-फूलेगा जब परिवार कमज़ोर होकर टुटेगा...कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां तभी बिकेंगी जब लोग फ्री सेक्स में विश्वास करेंगे..। तो जो लोग ये कहते हैं कि हम वही दिखाते हैं जो दर्शक देखना चाहते हैं,क्योंकि मीडिया समाज का आईना होता है....वो दरअसल मीडिया की ताकत को नहीं समझते या फिर वो एक बड़ी साज़िश के साझेदार है...इसलिए ऐसे लोगों से अब ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है.....क्या ये महज़ इत्तेफाक है कि शो के चार शुरूआती प्रायोजकों में से एक कंडोम की कंपनी है...और दूसरी प्रेगनेंसी रोकने का दावा करने वाली दवा...। इस शो से ये साफ हो गया कि टीवी वाले अब खतरनाक बन चुके हैं..... वे अब किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं...अगर इन्हें छुट मिल जाए तो ये लाइव सैक्स और लाइव रेप का कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं.. क्योंकि इन्हें न तो लोगों की चिंता है न ही देश और समाज की....इसलिए इन पर लगाम बेदह ज़रूरी है....ये दुर्भाग्य है कि फिल्मों पर लगाम कसने के लिए हमारे देश में सेंसर बोर्ड तो है पर टेलीविज़न के लिए नहीं.....टेलीविज़न के लिए बस मॉनिटरिंग से काम चलता है....और जब सरकार खुद कह चुकी है कि हर चैनल पर नज़र रखना आसान नहीं है.तो फिर मानिटरिंग किस दर्जे की होती होगी..अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीं.... ...दरअसल ये शो भारतीय टेलीविज़न इतिहास का सबसे बड़ा कंलक है....जिसे जल्द से जल्द मिटाना बेहद ज़रूरी है.......।।।।