Friday, August 7, 2009

सच का सामना या सेक्स से सामना




देश में इस वक्त बवाल मचा है। स्टार प्लस के नए रियलिटी शो 'सच का सामना' को लेकर। आम जनमानस इस शो को बंद कराने के पक्ष में दिख रहा है। सबसे बड़ी वजह है निजी बातों को सार्वजनिक करने के इस शो के चरित्र और रिश्तों और लोगों के विश्वास पर इसके पड़ने वाले असर के चलते। जबकि नैतिकता, मर्यादा को इंसानी विकास का दुश्मन समझने वाले और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढाल बनाकर हर गलत बात को जायज़ ठहराने वाले तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक तबके ने इस शो के पक्ष में हवा बनानी शुरू कर दी है। कोई इसकी टीआरपी को इसकी स्वीकार्यता बता रहा है। कोई कह रहा है कि जब प्रतियोगियों को अपने बेडरूम और सेक्स से संबंधित बातें बताने में कोई गुरेज़ नहीं है तो शो को लेकर हाय तौबा क्यों? साथ में ये तोहमत भी नत्थी किया जा रहा है कि सच को हम स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, हम पाखंड में जीने वाले लोग हैं, इससे हमारे समाज का खोखलापन दिखता है, इसलिए वे लोग इसे बंद कराने पर आमादा है। कहने की ज़रूरत नहीं कि देश में पैदा हुए इन विदेशियों को हर चीज़ विदेशी चश्मे से देखने की आदत पड़ चुकी है। हीन भावना से ग्रस्त इन बुद्धजीवियों को यहां की हर बात में खोट और खामी नज़र आती है, इसीलिए ये लोग हर उस बात का समर्थन करते हैं, जिससे इन्हें यहां के समाज और संस्कृति को गाली देने का मौका मिले। देश में पैदा हुए इन विदेशियों को न तो भारत की समझ है न यहां के लोगों । भारतीय जीवन शैली और उसके सामाजिक ताने-बाने में इनकी जानकारी उतनी ही है जितनी किसी विदेशी को होती है। अभिव्यक्ति की आज़ादी, बराबरी।(आज़ादी और बराबरी की बात करने वाले सभी ऐसे नहीं हैं)॥ये इनके वो सदाबहार दलील हैं, जिसको ये अपनी हर बात पर चिपका देते हैं को इन लोगों ने अपना हथियार बना लिया है...जब भी भारतीय समाज को नीचा दिखाने हो, उसके मूल्यों को ज़लील करना हो, ये इन्हीं दलीलों का हवाला देते हैं...टीवी वाले इन लोगों को भौंकने का मौका दे देते हैं॥इसलिए फोकट में सुर्खियों में बने रहते हैं....। का मामला संसद से लेकर कोर्ट तक उठ गया है.....संसद में तमाम सासंदों ने इस शो पर कड़ी आपत्ति की है......और इस पर तुंरत रोक लगाने की मांग की है....इस बीच सरकार ने नोटिस जारी कर दिया और स्टार इंडिया की ओर से नोटिस का जवाब भी सरकार को मिल गया....मीडिया में आ रही ख़बर के मुताबिक सरकार स्टार को घुड़की देकर और कुछ सलाह देकर शो को चलते रहने देगी....। दूसरी तरफ मामला कोर्ट में भी चल रहा है अब देखना है कि कोर्ट का इस विवाद पर क्या रूख रहता है....एक बात तो मानने में कोई गुरेज़ नहीं है कि विदेशी आईडिया के नकल पर बने इस शो ने विवादों से इतनी सुर्खियां बटोर ली है॥जो शायद देश के टेलीविज़न इतिहास में किसी ने न बटोरी हों..और निश्चत तौर पर इसका फायदा कार्यक्रम को मिलेगा....और स्टार इसकी टीआरपी दिखाकर कहेगा कि ये कार्यक्रम लोगों को पसंद आ रहा है ये शो अमेरिका में प्रसारित होने वाले शो द मुमेंट ऑफ ट्रुथ पर आधारित है...मुंमेट ऑफ ट्रुथ खुद कांलबियन शो Nada más que la verdad यानी नथिंग बट द ट्रुथ पर आधारित है.....शो में इक्कीस सवाल पुछे जाते हैं...जिनमें से ज्यादातर सवाल नितांत निजी औऱ सैक्स से जुड़े होते हैं..इस समय ये शो दुनिया के 46 अलग-अलग देशों में दिखाया जा रहा है...नाम अलग-अलग, लेकिन सवाल वही, कार्यक्रम का फॉर्मेट और नतीजा एक । 21 सवाल...सवाल के नाम पर निजता पर हमला...और इसका रिश्ता तोड़ू असर...। जहां भी ये शो प्रसारित हो रहा है...इसने समाज को तोड़ने का ही काम किया है...लेकिन हर जगह इसने सफलता से ज्यादा विवादों से सुर्खियां हासिल की.....कैसे इसने परिवारों को तोड़ा....इसके तमाम किस्सों से इन्टरनेट भरा पड़ा है....शो के दौरान ही कई रिश्ते टुट गए...ये आप यु-ट्यूब। में देख सकते हैं......ग्रीस में वहां टेलीविज़न और रेडियो काऊंसिल ने बंद करा दिया है..इससे पहले इस शो को लेकर से वहां के सबसे बड़े ब्रॉडकास्टर एंटिना पर दो बार फाइन लगाया गया....लेकिन इसके बाद भी लोगों की सैक्स लाइफ को सार्वजिनक करने की इसकी प्रवृति बंद नहीं हुई तो इसे बंद कर दिया......देश में उस समय हड़कंप मच गया जब शो में एक महिला से पुछा गया कि क्या आपने कभी पैसों के लिए सैक्स किया है.....।कोई हैरानी नहीं ये शो चलता रहा तो आने वाले एपिसोड में आपको ऐसे ही सवाल सुनने को मिलेंगे......और हमारे यहा तो नकेल कसने के लिए कोई रेगुलेट्री भी नहीं है....और जब पश्चिम का खुला और रिश्तों से आज़ाद रहने वाला समाज इसे पचा नहीं पा रहा है...तो हमारा पंरपरावादी समाज इसे क्यों देखे । इस शो पर प्रतिबंध लगाने की मांग के पीछे बड़ी वजह यह है कि शो खुद ही एक बड़ा छलावा और फरेब है.. शो का पूरा ताना बाना ही झूठ और फरेब के इर्द गिर्द बुना गया है....शो में पुछे गए सवाल बताते हैं कि यहां सच का मतलब सिर्फ और सिर्फ सैक्स है....सच की अग्निपरीक्षा पार कराने के नाम पर व्यक्ति के सैक्स लाइफ से जुड़े सवालों को उठाया जाता है.....इसलिए नहीं कि लोगों को उनके जीवन का सच बता सकें...बल्कि इसलिए कि सैक्स को सच की आड़ में बेच सकें.....कोई पूछे तो शो के कर्ताधर्ताओं से कि आदमी के सच और झूठ का निर्धारण केवल सैक्स लाइफ से ही हो सकता है.... क्या जीवन के अंतरंग पलों को बेनकाब करने से ही तय होता है सच्चा कौन है...ये नहीं है ये है सैक्स का सामना...अगर आपमें दम है तो अपनी सैक्स लाइफ अपने मां बाप और सारी दुनिया के सामने शेयर करो.....तभी बनेंगे सच्चे इंसान....इनसे ज़रा पुछिए कि जिस हरीशचंद्र को हम सच के लिए याद करते हैं...उन्होंने अपने सैक्स लाइफ के बारे में क्या बाते की थीं....मुझे मालूम है शो को बनाने वाली टीम के ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि हरीशचंद्र कौन थे.... । सच के नाम पर लोगों की प्राइवेट लाइफ में झांकने की इजाज़त किसने दी आपको......। ठीक है कन्टेस्टेंट अपनी मर्ज़ी से आते हैं....लेकिन उन्हें सच के नाम पर बरगलाता कौन है....हो सकता है कि कन्टेस्टेंट की रज़ामंदी के बाद ही उसकी प्राइवेट ज़िंदगी से संबधित सवाल पुछते हो...कंटेस्टेंट और आयोजक दोनों रज़ामंद हो भी तो भी इस प्राइवेट लाइफ को हमसे साझा करने की इजाज़त किसने दी....? किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ये मतलब तो कदापि नहीं है कि आप इसका जो मर्जी में आए,फायदा उठा लें.....स्टार टीवी को अगर लगता है कि जो लोग इन सवालों का जवाब देते हैं वो सच के असली सिपाही हैं..तो ले जाए उनको। बंद कर दे एक कमरे में.। और दे दे उसे एक करोड़ रूपये, जो इक्कीस सवालों का सच सच जवाब दे दे.। लेकिन ये सवाल सार्वजिनक करने का मतलब तो यही है न कि आप सच के नाम पर सनसनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं..आप कह सकते हैं कि आपके हाथ में रिमोट है...आप चैनल बदल लीजिए....लेकिन तब क्या कोई क्या करे...जब दूसरे तमाम चैनलों पर भी इसका प्रोमो हर ब्रेक में प्रकट हो जाता है....क्या ये सच है कि आप अपने पति को मारना चाहती थी?..अगर ये कार्यक्रम देखकर किसी का रिश्तों से विश्वास उठ जाए और वो कोई अपराध करने को विवश हो जाए तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है..... विश्वास टुटने की पीड़ा और ज़िदगी पर पड़ने वाले असर का हर्ज़ाना कौन भरेगा...जिसने भी इसका प्रोमो देखा होगा वो समझ गया होगा कि सच के नाम पर सेक्स कैसे बेचा जाता है..कितनी चालाकी से शो के कर्ताधर्ताओं ने सैक्स के साथ सच का घालमेल किया है....। राजीव खंडेलवाल स्क्रीन पर आते हैं. सच की दुहाई देते हैं. सच को अग्निपथ बताते हैं. .फिर अवतरित होती हैं एक टीवी एक्ट्रेस. , उनसे पुछा जाता है एक सवाल- “क्या ये सच है कि आपको कॉलेज से इसलिए निकाला गया क्योंकि आप प्रेग्रनेंट हो गई थीं”…..। फिर दर्शकों से पुछा जाता है- “क्या आप कर सकते हैं..., अगर हां, तो आप जीत सकते हैं एक करोड़”। सोचिए जरा। क्या किया जा रहा है। सच का प्रचार या सेक्स को सनसनीखेज़ तरीके से बेचा जा रहा है। आपसे ये कहा जा रहा है कि अगर आप ऐसे ही सवालों का जवाब दीजिए इसकी कीमत आपको मिल जाएगी...कीमत होगी एक करोड़। अब जो इनके झांसे में फंस जाते हैं, उन्हें एक करोड़ तो नहीं मिलते, ज़माने की ज़लालत ज़रूर भोगकर जाते हैं। जितना अपमानित वो पूरी ज़िदगी में नहीं होते, एक घंटे के अंदर हो जाते हैं। मां-बाप बीवी, भाई-बहन को इनके सेक्सी सच से जो पीड़ा होती है। सो अलग।.इस शो में प्रतियोगियों का सामना सच से होता हो या न होता हो....घर टुटने और रिश्ते बिखरने का पूरा इंतज़ाम रहता है......बार-बार सच,सच बोलकर प्रतियोगियों की इज्ज़त उतारी जाती है...और फिर बेईमानी करके प्रतियोगी को बाहर कर दिया जाता है....जब ये तय हो जाता है कि आपने जवाब देकर अपने परिवार को तोड़ने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है तो आपको उन सवालों से घेरा जाता है, जिनका उत्तर कोई भी हमेशा एक नहीं दे सकता ....यानी इस पर आपकी राय समय-समय पर बदलती रहती है......मसलन, क्या आप अपनी बीवी के गुलाम है...ये बात आप कभी मानते होंगे कभी सोचते होंगे कि नहीं मैं जोरू का गुलाम नहीं.....कहने का मतलब ये कि भले ही शो खुद को सच की अग्निपरीक्षा बताए.. पर खुद इसका सच से कोई सरोकार नहीं है.. इस शो के ज़रिए स्टार प्लस अपनी एक भी ज़िम्मेदारी को नहीं निभा रहा है। न तो वो सूचना देने का काम कर रहा है न लोगों को शिक्षित बना रहा है...न समाज को इससे कोई फायदा हो रहा है न संस्कृति को...तो क्यों चले ये शो,,,,,,,,,अब स्टार प्लस वाले बताएं कि इस शो का मकसद क्या है.....शो को मसालेदार और सनसनीखेज़ बनाने के लिए ही प्रतियोगियों को अपमानित किया जाता है...न शो में उनकी ज़िदगी को लेकर कोई सम्मान है न ही समाज पर इसके पड़ने वाले असर का......ये शो न तो टेलीविज़न होने की किसी तरह की सामाजिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करता है..न ही देश के सांस्कृतिक तरक्की में अपना योगदान देता है...इसके लिए इंसानी ज़िदगी को लेकर कोई सम्मान नहीं है। भारतीय जनमानस इस शो को पचा नहीं पा रहा है.....यही वजह है कि मामला तुरंत संसद तक जा पहुंचा। सरकार की कोई कार्रवाई हो इससे पहले ही शो ने अपना टाइम खिसका कर साढ़े दस कर लिया। ताकि कहने को हो गया कि नया टाइम एडल्ट कंटेट को ध्यान में रखकर किया गया है। इस वक्तर बच्चे सो जाते हैं। लेकिन खतरा खतरा सिर्फ बच्चों को नहीं है...बड़ों को भी है.। क्या हम जिस पति और पत्नी के पावन रिश्ते को विश्वास के सहारे पूरी जिदगी निभा जाते हैं। उस रिश्ते पर इस शो की काली छाया नहीं पड़ेगी ? जब एक पति शो में साथ जीवन गुज़ार देने वाली पत्नी के मुंह से सुनता होगा कि वो अपने पति को जान से मारना चाहती थी, तो क्या उसका विश्वास इस रिश्ते से कम नहीं होगा। आप में से कई लोगों की ज़िदगी में भी तमाम ऐसे मौके आए होंगे, जब गुस्से में आपके मन में किसी के कत्ल का ख्याल आया होगा। और हो सकता है कई बार आया हो। लेकिन उतना ही सच ये भी है कि आप क़ातिल नहीं हैं। क्योंकि ये ख्याल अल्पकालिन था । मन से ख्याल आने का मतलब ये नहीं कि आपने हत्या की कोशिश की..लेकिन जिस महिला से ये बोलवाया गया, सोचिए अब उसकी ज़िदगी कैसे बीत रही होगी स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले इस शो से सबसे ज्यादा ख़तरा भारतीय परिवार को है । .उस परिवार को जो हमारे समाज,हमारे देश की सबसे ताकतवर इकाई रहा है। आज से नहीं हज़ारों सालों से। इसी परिवार में हमने अपनी संस्कृति,अपनी पहचान अपनी परंपराओं को हजारो सालों तक सहेज कर रखा...। हजारों साल तक हम पर हमले होते रहे। लेकिन ये हमारे पारिवारिक ढ़ाचें को खत्म नहीं कर सके। इसी परिवार की ताकत के बूतें हमने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने मुताबिक ढालने पर मजबूर कर देते हैं....लेकिन अब मामला दूसरा है। हमें ये भी गौर करना होगा कि टीवी आज दुनिया का सबसे ताकतवर माध्यम ही नहीं है ये एक घातक हथियार में बदल चुका है...जो सीधे हमारी सोच पर हमला करता है। आज-कल के बच्चे मां-बाप और शिक्षकों से ज्यादा टीवी को देखकर सीख रहे हैं। घर का काम निपटाने के बाद घरेलू महिलाएं दूसरा सबसे महत्वपूर्ण काम करती हैं, .टीवी सीरियल देखने का.। कामकाजी पुरूष-और महिलाएं दफ्तर से थक-हार कर घर लौटते हैं तो सबसे पहले रिमोट खोजते हैं। अब टीवी सिर्फ मनोरंजन या जानकारी के साधन नहीं रह गए बल्कि ये हमारे आंख और कान हो गए हैं। हम जो टीवी पर देखते हैं उसका गहरा असर पड़ता है..टीवी अब समाज का आईना नहीं रह गया है बल्कि वो सही-गलत रास्ता दिखाने वाला सशक्त माध्यम बन गया है। और शायद इसीलिए पिछले एक दशक में टीवी ने हमारी ज़िदगी को जितना बदला है उतना शायद किसी और ने नहीं। इसलिए हमें “” जैसे शो से ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है..टीवी प्रकरांतर से बाज़ार का साथी हैं.... बाज़ार तभी और फलेगा-फूलेगा जब परिवार कमज़ोर होकर टुटेगा...कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां तभी बिकेंगी जब लोग फ्री सेक्स में विश्वास करेंगे..। तो जो लोग ये कहते हैं कि हम वही दिखाते हैं जो दर्शक देखना चाहते हैं,क्योंकि मीडिया समाज का आईना होता है....वो दरअसल मीडिया की ताकत को नहीं समझते या फिर वो एक बड़ी साज़िश के साझेदार है...इसलिए ऐसे लोगों से अब ज्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है.....क्या ये महज़ इत्तेफाक है कि शो के चार शुरूआती प्रायोजकों में से एक कंडोम की कंपनी है...और दूसरी प्रेगनेंसी रोकने का दावा करने वाली दवा...। इस शो से ये साफ हो गया कि टीवी वाले अब खतरनाक बन चुके हैं..... वे अब किसी भी हद तक गिरने को तैयार हैं...अगर इन्हें छुट मिल जाए तो ये लाइव सैक्स और लाइव रेप का कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं.. क्योंकि इन्हें न तो लोगों की चिंता है न ही देश और समाज की....इसलिए इन पर लगाम बेदह ज़रूरी है....ये दुर्भाग्य है कि फिल्मों पर लगाम कसने के लिए हमारे देश में सेंसर बोर्ड तो है पर टेलीविज़न के लिए नहीं.....टेलीविज़न के लिए बस मॉनिटरिंग से काम चलता है....और जब सरकार खुद कह चुकी है कि हर चैनल पर नज़र रखना आसान नहीं है.तो फिर मानिटरिंग किस दर्जे की होती होगी..अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीं.... ...दरअसल ये शो भारतीय टेलीविज़न इतिहास का सबसे बड़ा कंलक है....जिसे जल्द से जल्द मिटाना बेहद ज़रूरी है.......।।।।

5 comments:

Ambikapuriya said...

good

Prashant said...

जरूर यह पुरी तरह से सनसनी के जरिये पैसे कमाने के लिया बनाया गया प्रोग्राम है ।

हालाकी सबही प्रोग्राम ऐसे होते है, लेकिन अगर स्पॉन्सर करनेवाली कंपनिया अगर गलत धारणायें फैलाने के लिये ऐसा करें तो ये बहुतही गलत है ।

हालाकी, हम सब युवा लोग मिलकर इसे जान ले, और सही तरह से चर्चा करें तो मुझे नही लगता, की हमारी संस्कृती को कोई नुकसान होगा ।

इस कार्यक्रम में सेक्ससंबधीत प्रश्न पर रोक लगनी चाहिये । अन्यथा सिर्फ समझदार लोगो को देखने देने का सर्टिफिकेट जारी किया जाए ।

. said...

यह सही है कि सच का सामना में सच कम और सेक्स का तड़का ज्यादा है...फिर भी कुछ लोगों को चंद पैसों के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन की नुमाईश लगाना अच्छा लगता...जिसे वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते है....जो सिर्फ खोखली और बासी है,,,,अगर इसे समाज के समाने रख दिया जाए तो इसकी संडन से पूरा समाज बंदबूदार हो जाएगा...

हिमांशु डबराल Himanshu Dabral (journalist) said...

जनाब आप थोडी बहुत नही बल्कि बहुत बेबाकी की माद्दा रखते है...
अपने बिल्कुल सही लिखा है...आधुनिकता के नाम पर हमे ऐसी फूहड़ता बिल्कुल बर्दाश नही करनी चाहिए..

Unknown said...

bilkul sahi likha hai appne
ye sach hai ki is karkram me sirf sex hi parosa ja raha hai or isi vajah se hi yah dharavahik logo ke beach me itni jaldi hi ek alag jagah bana chuka hai ,or ha ye sach jarur hi kai parivaro ko tabah karega ye bhi pakka hai ,mera manana to yahi hai ki is tarah ke savalo par rok lagni chahiye ,